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२० मई, १९७०
क्या हम जरा भी आपकी अनुभूतिके पीछे चल रहे हैं? हमें इस गतिमें जरा अधिक उतरनेंके लिये क्या करना चाहिये?
कुछ लोगोंको अनुभूतियां होने लगी हैं; कुछको अनुभूतियां तो हों रही है पर उन्हें मालूम नहीं! (माताजी हंसती है) उसका कुछ प्रभाव है ।
हमेशाकी तरह सबसे बड़ी कठिनाई है मन, क्योंकि वह अपने ही तरीकेसे
समझना चाहता है... । यही कठिनाई है... । कुछ लोग है जिनमें यह चीज न होती तो वे बहुत ज्यादा तेजीसे बढ़ते । उन्हें लगता है कि अगर उन्होंने मनके द्वारा नहीं समझा तो समझा ही नहीं ।
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